बजट शब्द का उल्लेख भारत के संविधान में नहीं है बल्कि 'वार्षिक वित्तीय विवरण' के रूप में अनुच्छेद 112 में इसका जिक्र है।
विभिन्न कर लगाकर होने वाली आय का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 265 में जबकि व्यय का उल्लेख अनुच्छेद 266 में है।
2019 में ब्रीफकेस की परंपरा को तोड़ते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लाल कपड़े में भारत का बजट पेश किया।
2021 में पहली बार भारत का बजट 2021-22 डिजिटल रूप में पेश किया गया। यह बजट पूरी तरह से पेपरलेस बजट था।
2021 में पाँचवी बार आम बजट और रेल बजट एक साथ पेश किए गए।
2017 से पहले बजट 28 फरवरी को पेश किया जाता था। 2017 से 1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा शुरू हुई।
रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की परंपरा 1924 में शुरू हुई जो 2017 तक चली। 2017 से दोनों बजट एकसाथ प्रस्तुत किये जाने लगे।
फरवरी 2016 में अलग रेल बजट पेश करने वाले अंतिम रेल मंत्री सुरेश प्रभु थे।
फरवरी 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सर्वप्रथम सम्मिलित बजट पेश किया गया था।
भारत में पहली बार बजट 7 अप्रैल 1860 में जेम्स विल्सन द्वारा प्रस्तुत किया गया था। यह बजट ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा ब्रिटिश क्राउन को पेश किया गया था।
स्वतंत्र भारत का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आर के षणमुगम चेट्टी द्वारा 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था।
गणतंत्र भारत का पहला बजट जॉन मथाई द्वारा 28 फरवरी 1950 को पेश किया गया था।
मोरारजी देसाई पहले ऐसे वित्तमंत्री थे जिन्होंने सबसे ज्यादा बार (10) बजट पेश किया।
वित्तमंत्री के रूप में पी चिदंबरम ने 9 बार तथा प्रणब मुखर्जी ने 8 बार बजट पेश किया। प्रणब मुखर्जी बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने।
इंदिरा गांधी पहली महिला थीं जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया था।
वित्त मंत्री रहते हुए बजट पेश करने वाली पहली महिला निर्मला सीतारमण हैं।
जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने बजट (1958-59) पेश किया था।
प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश करने वाले 3 व्यक्ति-- जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ।
1955 तक बजट की छपाई सिर्फ अंग्रेजी में ही होती थी लेकिन उसके बाद से यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छपने लगा।
1973-74 के बजट को 550 करोड़ के बड़े राजकोषीय घाटे के कारण ब्लैक बजट कहा जाता है।
आज़ादी से पहले जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का बजट पेश करने वाले पहले भारतीय, मुस्लिम लीग के लियाकत अली खान थे। यह अंतरिम बजट था।
सबसे छोटा बजट भाषण वित्त मंत्री एच एम पटेल का था जो 800 शब्दों का था।
सबसे लंबा बजट भाषण वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991-92 का बजट पेश करते हुए दिया जो 18650 शब्दों का था।
बजट का इतिहास:
बजट पेश करते समय बजट से संबंधित पेपर एक ब्रीफकेस में लाना ब्रिटिश परंपरा का एक हिस्सा था।
ब्रिटेन में बजट के पेपर जिस ब्रीफकेस में लाये जाते थे उसे ग्लैडस्टोन बॉक्स ( Gladstone Box ) कहा जाता था।
1860 में ब्रिटिश बजट चीफ विलियम ई ग्लैडस्टोन सर्वप्रथम बजट संबंधी कागज़ातों को लाल रंग के एक सूटकेस में संसद में लेकर आए। तब से इसे ग्लैडस्टोन बॉक्स के नाम से जाना जाने लगा।
1920-21 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री विलियम मिशेल एकवर्थ की अध्यक्षता में 10 सदस्यों की एक समिति, जिसे एकवर्थ समिति कहा जाता है, की सिफारिश पर 1924 में अंग्रेजों ने अलग से रेल बजट पेश करने की प्रथा शुरू की।
बजट कैसे तैयार होता है:
सितंबर में सभी मंत्रालयों एवं विभागों से आगामी वर्ष के लिए उनके खर्च का ब्यौरा मांगा जाता है।
अक्टूबर-नवंबर में वित्त मंत्रालय तय करता है कि किसे कितना धन आवंटित किया जायेगा।
बजट पेश होने से सप्ताह भर पहले वित्त मंत्रालय में परंपरा के रूप में हलवा सेरेमनी होती है। वित्त मंत्री सहित मंत्रालय के सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों में हलवा बाँटा जाता है। इसके बाद बजट की छपाई का काम शुरू होता है।
बजट तैयार होने के बाद पेश किए जाने तक इस प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों को अपने घर जाने की अनुमति नहीं होती है। सभी कर्मचारी वित्त मंत्रालय में ही रहते हैं एवं किसी प्रकार का कोई भी वार्त्तालाप वे बाहर के लोगों से नहीं कर सकते हैं। ऐसा बजट को गोपनीय रखने के लिए किया जाता है।
इसके बाद राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद संसद में बजट पेश किया जाता है।