बजट (Budget) | Important Facts about Budget in Hindi

 India budget facts

  • बजट शब्द का उल्लेख भारत के संविधान में नहीं है बल्कि 'वार्षिक वित्तीय विवरण' के रूप में अनुच्छेद 112 में इसका जिक्र है।

  • विभिन्न कर लगाकर होने वाली आय का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 265 में जबकि व्यय का उल्लेख अनुच्छेद 266 में है।

  • 2019 में ब्रीफकेस की परंपरा को तोड़ते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लाल कपड़े में भारत का बजट पेश किया।

  • 2021 में पहली बार भारत का बजट 2021-22 डिजिटल रूप में पेश किया गया। यह बजट पूरी तरह से पेपरलेस बजट था।

  • 2021 में पाँचवी बार आम बजट और रेल बजट एक साथ पेश किए गए।

  • 2017 से पहले बजट 28 फरवरी को पेश किया जाता था। 2017 से 1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा शुरू हुई।

  • रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की परंपरा 1924 में शुरू हुई जो 2017 तक चली। 2017 से दोनों बजट एकसाथ प्रस्तुत किये जाने लगे।

  • फरवरी 2016 में अलग रेल बजट पेश करने वाले अंतिम रेल मंत्री सुरेश प्रभु थे।

  • फरवरी 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सर्वप्रथम सम्मिलित बजट पेश किया गया था।

  • भारत में पहली बार बजट 7 अप्रैल 1860 में जेम्स विल्सन द्वारा प्रस्तुत किया गया था। यह बजट ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा ब्रिटिश क्राउन को पेश किया गया था।

  • स्वतंत्र भारत का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आर के षणमुगम चेट्टी द्वारा 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था।

  • गणतंत्र भारत का पहला बजट जॉन मथाई द्वारा 28 फरवरी 1950 को पेश किया गया था।

  • मोरारजी देसाई पहले ऐसे वित्तमंत्री थे जिन्होंने सबसे ज्यादा बार (10) बजट पेश किया।

  • वित्तमंत्री के रूप में पी चिदंबरम ने 9 बार तथा प्रणब मुखर्जी ने 8 बार बजट पेश किया। प्रणब मुखर्जी बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने।

  • इंदिरा गांधी पहली महिला थीं जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया था।

  • वित्त मंत्री रहते हुए बजट पेश करने वाली पहली महिला निर्मला सीतारमण हैं।

  • जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने बजट (1958-59) पेश किया था।

  • प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश करने वाले 3 व्यक्ति-- जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ।

  • 1955 तक बजट की छपाई सिर्फ अंग्रेजी में ही होती थी लेकिन उसके बाद से यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छपने लगा।

  • 1973-74 के बजट को 550 करोड़ के बड़े राजकोषीय घाटे के कारण ब्लैक बजट कहा जाता है।

  • आज़ादी से पहले जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का बजट पेश करने वाले पहले भारतीय, मुस्लिम लीग के लियाकत अली खान थे। यह अंतरिम बजट था।

  • सबसे छोटा बजट भाषण वित्त मंत्री एच एम पटेल का था जो 800 शब्दों का था।

  • सबसे लंबा बजट भाषण वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991-92 का बजट पेश करते हुए दिया जो 18650 शब्दों का था।

बजट का इतिहास:

  • बजट पेश करते समय बजट से संबंधित पेपर एक ब्रीफकेस में लाना ब्रिटिश परंपरा का एक हिस्सा था।

  • ब्रिटेन में बजट के पेपर जिस ब्रीफकेस में लाये जाते थे उसे ग्लैडस्टोन बॉक्स ( Gladstone Box ) कहा जाता था।

  • 1860 में ब्रिटिश बजट चीफ विलियम ई ग्लैडस्टोन सर्वप्रथम बजट संबंधी कागज़ातों को लाल रंग के एक सूटकेस में संसद में लेकर आए। तब से इसे ग्लैडस्टोन बॉक्स के नाम से जाना जाने लगा।

  • 1920-21 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री विलियम मिशेल एकवर्थ की अध्यक्षता में 10 सदस्यों की एक समिति, जिसे एकवर्थ समिति कहा जाता है, की सिफारिश पर 1924 में अंग्रेजों ने अलग से रेल बजट पेश करने की प्रथा शुरू की।

बजट कैसे तैयार होता है:

  • सितंबर में सभी मंत्रालयों एवं विभागों से आगामी वर्ष के लिए उनके खर्च का ब्यौरा मांगा जाता है।

  • अक्टूबर-नवंबर में वित्त मंत्रालय तय करता है कि किसे कितना धन आवंटित किया जायेगा।

  • बजट पेश होने से सप्ताह भर पहले वित्त मंत्रालय में परंपरा के रूप में हलवा सेरेमनी होती है। वित्त मंत्री सहित मंत्रालय के सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों में हलवा बाँटा जाता है। इसके बाद बजट की छपाई का काम शुरू होता है।

  • बजट तैयार होने के बाद पेश किए जाने तक इस प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों को अपने घर जाने की अनुमति नहीं होती है। सभी कर्मचारी वित्त मंत्रालय में ही रहते हैं एवं किसी प्रकार का कोई भी वार्त्तालाप वे बाहर के लोगों से नहीं कर सकते हैं। ऐसा बजट को गोपनीय रखने के लिए किया जाता है।

  • इसके बाद राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद संसद में बजट पेश किया जाता है।

गणतंत्र दिवस ( Republic Day ) | Republic Day Kyu Manaya Jata Hai in Hindi

Republic day india

  • प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को भारत का गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश की राजधानी में तथा राज्यों के राज्यपाल द्वारा संबंधित राज्यों की राजधानियों में झंडा फहराया जाता है।

  • प्रधानमंत्री द्वारा अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

  • इस दिन नई दिल्ली में राजपथ पर विभिन्न झाँकियाँ निकाली जाती हैं तथा सेना द्वारा अपने हथियारों का भी प्रदर्शन किया जाता है।

  • 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन अर्थात 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था।

  • देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन वास्तविक आजादी 26 जनवरी 1950 को मिली जब संविधान लागू हुआ और देश गणतंत्र बना।

  • 1947 से गणतंत्र बनने तक भारत पर शासन ब्रिटिश संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार होता था।

  • भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने अपने पद की शपथ 26 जनवरी 1950 को ही ली थी।

  • गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ 29 जनवरी को होता है।

  • राजपथ पर पहली गणतंत्र दिवस परेड 1955 में हुई थी।

  • 1950 से 19554 तक गणतंत्र दिवस परेड अलग-अलग स्थानों पर आयोजित होती थी। ये स्थान थे-- इरविन स्टेडियम ( अब नेशनल स्टेडियम ), किंग्स वे, लाल किला, रामलीला मैदान।

  • राजपथ को पहले किंग्स वे के नाम से जाना जाता था।

  • गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रपति भवन से शुरू होकर इंडिया गेट पर समाप्त होती है।

  • गणतंत्र दिवस के मौके पर विभिन्न पुरस्कारों की  भी घोषणा की जाती है, जैसे-- भारत रत्न, पद्म पुरस्कार, वीरता पुरस्कार।

  • पहले गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ सुकर्णो को आमंत्रित किया गया था।

  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी का पसंदीदा माना जाने वाला गीत 'अबाइड विद मी' बजाया जाता है।

गणतंत्र दिवस का इतिहास:

  • 28 दिसंबर 1929 को काँग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज्य की माँग की।

  • जल्दी ही पूर्ण स्वराज्य की भावना पूरे देश के लोगों के मन में उमड़ पड़ी।

  • देश के लोगों की भावनाओं को देखते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 जनवरी 1930 को लाहौर में रावी नदी के किनारे झण्डा फहराया।

  • तब से 26 जनवरी को प्रतीकात्मक स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

  • आगे चलकर 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ लेकिन अभी गणतंत्र नहीं हो पाया।

  • आजादी के बाद देश का संविधान बनाने की कवायद शुरू हुई और 13 छोटी-बड़ी समितियों ने मिलकर संविधान का निर्माण किया।

  • संविधान बनने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा।

  • भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

  • संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू करने का फैसला किया गया क्योंकि 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था।

अमर जवान ज्योति ( Amar Jawan Jyoti ) | Amar Jawan Jyoti ka Mahatva

Amar jawan jyoti

 

  • अमर जवान ज्योति पिछले 5 दशकों से नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर प्रज्वलित थी जो अब पास स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में मिला दी गई है।

  • 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति को जलाने का निर्णय लिया गया था। इस युद्ध में भारत के 3843 सैनिक शहीद हुए थे।

  • यह ज्योति इंडिया गेट के नीचे काले रंग के स्मारक पर प्रज्वलित थी जिस पर अमर जवान लिखा है।

  • इस स्मारक के चारों कोनों पर 4 लौ हैं जिनमें से एक हमेशा प्रज्वलित रहती है। बाकी तीनों लौ को गणतंत्र दिवस तथा स्वतंत्रता दिवस पर प्रज्वलित किया जाता है।

  • अमर जवान ज्योति पर हर समय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जवान तैनात रहते हैं।

  • इस स्मारक पर एक L1A1 रायफल रखी है जिस पर एक सैनिक हेलमेट लगा है।

  • अमर जवान ज्योति का उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।

  • इस ज्योति को प्रज्वलित करने में पहले एलपीजी ( LPG ) का इस्तेमाल होता था लेकिन 2006 के बाद से सीएनजी ( CNG ) का प्रयोग होने लगा।

  • प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तथा तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते थे। अब श्रद्धांजलि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अर्पित की जाती है।

जल्लीकट्टू ( Jallikattu ) | Jallikattu festival in Tamilnadu | Jallikattu kahan ka tyohar hai

  • जल्लीकट्टू तमिलनाडु का लगभग 2000 वर्ष पुराना पारंपरिक खेल है जो फसलों की कटाई के अवसर पर पोंगल के समय आयोजित किया जाता है।

  • यह खेल मुख्य रूप से मदुरै, तिरुचिरापल्ली, थेनी, पुडुकोट्टई और डिंडीगुल जिलों में लोकप्रिय है। इस कारण यह क्षेत्र जल्लीकट्टू बेल्ट के रूप में प्रसिद्ध है।

  • इस खेल में भारी भरकम साँड़ों के सींगों में नोट और सिक्के फँसा कर रखे जाते हैं।

  • इसके बाद इन साँड़ों को तेज दौड़ने के लिए भड़काया जाता है। भड़काने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं जैसे--- शराब पिलाना, आँखों में मिर्च डालना, पूँछों को मरोड़ना आदि।

  • खेल के आयोजन से पहले वहाँ के लोग बैलों को खूँटे से बाँधकर उन्हें उकसाने का अभ्यास करते हैं।

  • 2014 में उच्चतम न्यायालय ने पशुओं के प्रति क्रूरता के चलते जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित कर दिया था।

  • 2000 वर्ष पुरानी यह परंपरा योद्धाओं के बीच लोकप्रिय थी।

  • प्राचीन तमिल साहित्य में भी जल्लीकट्टू का उल्लेख विभिन्न नामों के अंतर्गत मिलता है।

  • यह खेल एक स्वयंवर की तरह होता था। जो योद्धा बैल पर काबू पाता था उसे महिलाएं वर के रूप में चुनती थीं।

  • खेल का नाम जल्लीकट्टू शब्द सल्लीकासू से बना है। सल्ली का अर्थ होता है सिक्का और कासू का अर्थ होता है सींगों में बँधा हुआ। 

  • बैल के सींगों में बँधे हुए सिक्कों को हासिल करना इस खेल का उद्देश्य होता है।

  • जो प्रतिभागी बैल को वश में कर लेता है उसे विजेता घोषित किया जाता है अन्यथा बैल मालिक विजेता होता है।

  • खेल के शुरू होने पर 1-1 करके 3 बैलों को छोड़ा जाता है। ये सबसे बूढ़े बैल होते हैं। गाँव की शान के प्रतीक इन बैलों को कोई नहीं पकड़ता।

  • 3 दिन तक इस खेल का आयोजन किया जाता है।

  • इस खेल के दौरान कई प्रतिभागी घायल हो जाते हैं तथा दुर्भाग्यवश किसी की मौत भी हो जाती है।

  • बैलों के प्रति हिंसक व्यवहार के कारण यह खेल अक्सर विवाद का विषय बना रहता है।

रानी कमलापति ( Rani Kamlapati ) | Rani Kamlapati History in Hindi

  • रानी कमलापति एक गोंड रानी थीं जिनका विवाह गिन्नौरगढ़ के राजा के साथ हुआ था।

  • 18वीं शताब्दी की रानी कमलापति के बारे में कहा जाता है कि वो बहुत सुंदर थीं।

  • रानी कमलापति के पिता का नाम कृपाल सिंह सरोतिया था।

  • गोंड भारत के सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है। गोंड मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उड़ीसा में फैले हुए हैं।

  • गिन्नौरगढ़ भोपाल से लगभग 60 किलोमीटर दूर था और उस समय भोपाल भी गिन्नौरगढ़ के अंतर्गत आता था।

  • यहाँ के गोंड शासक सूरज सिंह शाह के पुत्र निजामशाह से रानी कमलापति का विवाह हुआ था और वो राजा की 7 रानियों में से एक थीं।

  • रानी कमलापति को गोंड राजवंश की अंतिम रानी माना जाता है। साथ ही वे भोपाल की अंतिम हिन्दू रानी भी थीं।

  • रानी कमलापति को उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता है। उन्होंने बेहतर जल प्रबंधन के साथ ही अपने राज्य में बड़ी संख्या में पार्कों और मंदिरों का निर्माण भी कराया।

  • मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रानी कमलापति के सम्मान में एक पार्क बनाया गया है जिसका नाम कमला पार्क है। इसी पार्क में उनका महल भी मौजूद है।

  • निजामशाह के भतीजे आलमशाह ने उनकी संपत्ति हड़पने के लिए खाने में ज़हर देकर उनकी हत्या कर दी।

  • राजा की मृत्यु के बाद रानी कमलापति अपने बेटे नवलशाह के साथ भोपाल के कमलापति महल में आकर रहने लगीं। इस 7 मंजिला महल का निर्माण उनके पति निजामशाह ने 17वीं शताब्दी में कराया था। वर्तमान में इस महल की 5 मंजिलें पानी में डूब चुकी हैं। कुछ लोगों का मत है कि इस महल का निर्माण रानी कमलापति ने करवाया था।

  • अपने पति की हत्या का बदला लेने के लिए रानी कमलापति ने दोस्त मुहम्मद खान से सहायता माँगी। दोस्त मुहम्मद खान पड़ोसी राज्य इस्लामपुर का शासक था।

  • मुहम्मद खान 1 लाख अशर्फियों के बदले रानी की सहायता करने के लिए तैयार हो गया और उसने आलमशाह की हत्या कर दी।

  • रानी कमलापति उस समय केवल 50000 अशर्फियों की ही व्यवस्था कर पायीं और बाकी अशर्फियों के बदले में उन्होंने मुहम्मद खान को भोपाल का कुछ हिस्सा दे दिया।

  • कालांतर में दोस्त मुहम्मद खान भोपाल की रियासत पर कब्ज़ा करना चाहता था। उसने रानी के सामने शादी का प्रस्ताव भी रखा।

  • इस बात से क्रोधित होकर रानी का 14 वर्षीय पुत्र नवलशाह मुहम्मद खान से युद्ध करने पहुँच गया। यह युद्ध लाल घाटी में हुआ।

  • इस घमासान युद्ध में नवलशाह की मृत्यु हो गई। युद्ध में इतना खून बहा कि यहाँ की मिट्टी भी लाल हो गई। इस कारण इसे लाल घाटी कहा जाने लगा।

  • युद्ध में रानी के दो सैनिक जान बचाकर मनुआभान की पहाड़ी पर पहुँचे और काला धुंआ कर युद्ध हारने का संकेत दिया।

  • खतरा भाँपकर रानी कमलापति ने बड़े तालाब का बांध खुलवा दिया जिससे पानी छोटे तालाब में आने लगा।

  • इसमें रानी कमलापति ने महल की धन-दौलत और आभूषण डालकर स्वयं जल-समाधि ले ली।

  • स्रोतों के अनुसार रानी कमलापति ने सन 1723 में मृत्यु को गले लगाया था।

  • कुछ इतिहासकार रानी कमलापति की जल-समाधि को नकारते हैं। उनका मत है कि उस समय वहाँ छोटा तालाब मौजूद ही नहीं था।

  • रानी की मृत्यु के बाद भोपाल पर मुस्लिम शासकों का शासन शुरू हुआ जिनमें पहला नाम था दोस्त मुहम्मद खान।

  • भोपाल पर शासन करने वाली मुस्लिम महिलाओं को बेगम कहा जाता था

  • 1901 से 1923 तक भोपाल पर जहान बेगम का शासन था। उन्होंने अपने पौत्र हबीबुल्लाह के नाम पर भोपाल के एक हिस्से का नाम हबीबगंज रखा।

प्रवासी भारतीय दिवस ( NRI Day ) | Pravasi Bharatiya Divas

 

Pravasi bharatiya divas(NRI Day)


  • प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को प्रवासी भारतीयों के सम्मान में मनाया जाता है।

  • प्रवासी भारतीय का अंग्रेजी में अर्थ होता है ---  Non Resident Indian ( NRI )।

  • प्रवासी दिवस मनाने के लिए 9 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 9 जनवरी 1915 को गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे थे। महात्मा गाँधी को सबसे बड़े प्रवासियों में से एक माना जाता है।

  • वर्ष 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

  • 2003 से 2015 तक प्रवासी भारतीय दिवस हर साल मनाया जाता था लेकिन 2015 के बाद से यह हर 2 वर्ष में एक बार मनाया जाने लगा।

  • प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का निर्णय वर्ष 2000 में गठित डॉ लक्ष्मी मल सिंघवी समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया।

  • गुजरात के व्यापारी दादा अब्दुल्ला सेठ के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में गाँधी जी 1893 में दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रान्त में पहुँचे थे। 

  • दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गाँधी ने वहाँ रह रहे प्रवासी भारतीयों के सम्मान के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी।

  • गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका से प्रवास का एक लंबा अनुभव लेकर 22 साल बाद भारत लौटे थे।

  • प्रवासी भारतीय दिवस भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों की भूमिका को उल्लेखित करने के लिए मनाया जाता है।

  • प्रवासी भारतीय वित्त प्रेषण के रूप में अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत भेजते हैं।

  • प्रवासी भारतीय दिवस प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जुड़ने का एक मंच प्रदान करता है।

  • इस दिवस के अवसर पर प्रवासी भारतीय सम्मान भी दिया जाता है जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है।

  • विदेश में किसी प्रभावशाली प्रवासी भारतीय को प्रवासी दिवस के आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है।

  • प्रवासी भारतीयों के लिए 2004 में एक अलग मंत्रालय बनाने का निर्णय लिया गया लेकिन यह विचार ज्यादा सफल नहीं हो सका।

  • वर्तमान में विदेश मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रवासी भारतीय विभाग अस्तित्व में है जिसमें 4 डिवीजन हैं--- डायस्पोरा सेवा, वित्तीय सेवा, उत्प्रवास सेवा, प्रबन्धन सेवा।

काशी विश्वनाथ मंदिर | Kashi Vishwanath Temple History in Hindi | ज्ञानवापी मंदिर

 

  • काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

  • उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित इस मंदिर के मुख्य देवता बाबा विश्वनाथ हैं जोकि भगवान शिव का ही एक अन्य नाम है।

  • विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी का प्राचीन नाम काशी है। काशी और बाबा विश्वनाथ के नाम पर इस मंदिर का नाम काशी विश्वनाथ मंदिर पड़ा।

  • वाराणसी पवित्र नदी गंगा के किनारे स्थित है।

  • काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख स्कन्द पुराण में भी मिलता है।

  • इस मंदिर को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। विश्वेश्वर का अर्थ है ब्रह्माण्ड का शासक।

  • काशी विश्वनाथ मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरिश्चन्द्र ने करवाया था।

  • 1194 ईस्वी में मुहम्मद गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था जब उसने कन्नौज के राजा पर विजय प्राप्त की।

  • 1230 ईस्वी में गुजरात के एक व्यापारी द्वारा फिर से इस मंदिर को बनवाया गया। उस समय इल्तुतमिश का शासन था।

  • कालान्तर में इस मंदिर को फिर से हुसैन शाह शर्की और सिकंदर लोदी द्वारा नुकसान पहुँचाया गया।

  • 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने भी इस मंदिर को तुड़वाया था।

  • आमेर के कछवाहा राजा मान सिंह ने यहाँ पुनः मंदिर बनवाया।

  • 1585 ईस्वी में राजा टोडरमल ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। इस काम में उनकी सहायता बनारस के महान पंडित नारायण भट्ट ने की । टोडरमल अकबर के मंत्री थे।

  • 1669 ईस्वी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करवा दिया और इसके स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।

  • मंदिर में एक छोटा कुआँ था जिसका नाम ज्ञानवापी था। उसी के नाम पर मस्जिद का नाम ज्ञानवापी रखा गया।

  • औरंगजेब के शासनकाल में मुगलों के आक्रमण से बचाने के लिए ज्योतिर्लिंग को इस कुएँ में छिपा दिया गया था।

  • 18 वीं शताब्दी में आमेर के राजा जय सिंह द्वितीय ने मंदिर को संवारने में योगदान दिया और कई घाटों तथा जंतर मंतर का निर्माण कराया।

  • 1742 ईस्वी में मराठा राजा मल्हार राव होल्कर ने मस्जिद की जगह फिर से विश्वनाथ मंदिर बनवाने की योजना बनाई। उनकी यह योजना अवध के नवाब के हस्तक्षेप के कारण पूरी नहीं हो सकी।

  • 1780 ईस्वी में मल्हार राव होल्कर की पुत्रवधू अहिल्याबाई होल्कर ने वर्तमान मंदिर बनवाया जोकि मस्जिद के बराबर में स्थित है।

  • अहिल्याबाई होल्कर इंदौर की महारानी थीं और धार्मिक प्रवृत्ति होने के कारण उन्होंने कई और मंदिरों का भी निर्माण कराया।

  • 1835 ईस्वी में मंदिर के गुम्बद पर सोने की परत चढ़ाने के लिए सिख राजा रंजीत सिंह ने लगभग 1 टन सोना दान में दिया था।

  • 1860 ईस्वी में नेपाल के राणा द्वारा नंदी की 7 फीट ऊंची मूर्ति मंदिर में स्थापित करने के लिए भेंट की गई थी।

  • ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी।

  • 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिलादण्डाधिकारी वाट्सन ने वाइस प्रेसिडेंसी इन काउंसिल को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपने के लिए कहा लेकिन ऐसा सम्भव नहीं हो पाया।

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