मानव जीवन में पर्वतों के योगदान को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2002 को "अंतर्राष्ट्रीय पर्वत वर्ष" घोषित किया गया।
पहला "अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस" साल 2003 में मनाया गया।
गौरतलब है कि इस दिवस को मनाने की भूमिका पहले ही बन गई थी जब साल 1992 में पर्यावरण और विकास पर हुए सम्मेलन में एजेंडा-21 के भाग के रूप में एक दस्तावेज अपनाया गया। इस दस्तावेज का विषय था 'संवेदी पारिस्थितिक तंत्र का प्रबंधन: संधारणीय पर्वतीय विकास'।
वर्ष 2022 में अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस की थीम है— Women Move Mountains।
पर्वतों के पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक व आर्थिक विकास में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
महिलाएं पर्वतीय संसाधनों की प्राथमिक प्रबंधक, पारंपरिक ज्ञान, जैव विविधता, स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक रूप से चिकित्सा की संरक्षक और विशेषज्ञ होती हैं।
ग्रामीण पर्वतीय महिलाओं की भूमिका जैव विविधता के संरक्षण और जल व खाद्य सुरक्षा में बहुत महत्वपूर्ण होती है।
पर्वत पृथ्वी के लगभग 27% भाग पर फैले हुए हैं।
विश्व की लगभग 15% आबादी पर्वतों पर निवास करती है।
पर्वतों पर विश्व के लगभग आधे जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट पाये जाते हैं।
कुछ प्रमुख पौधों की प्रजातियों की उत्पत्ति पर्वतों पर हुई जैसे— जौ, ज्वार, आलू, मक्का, सेब, टमाटर।
आज के समय में पर्वत कुछ कारणों से संकट का सामना कर रहे हैं। इन कारणों में शामिल हैं— जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, पेड़ों की कटाई, खराब कृषि पध्दतियाँ, वाणिज्यिक खनन अवैध शिकार, प्लास्टिक प्रदूषण और बढ़ता पर्यटन आदि।
पर्वतों की जैव विविधता के संधारणीय प्रबंधन के लिए पर्वतों को सतत विकास लक्ष्य 15 के लक्ष्य 4 में संरक्षण प्राप्त है।
संयुक्त राष्ट्र ने साल 2021-2030 को "पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना पर संयुक्त राष्ट्र दशक" घोषित किया है।
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