11 जुलाई 1994 को सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे का निधन हुआ।
वे उन 21 भारतीय सैनिकों में से एक है जिन्हें भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
इन्हें यह सम्मान 1948 में मिला।
राम राघोबा राणे का जन्म 26 जून 1918 को कर्नाटक के धारवाड़ जिले में हुआ।
देश के लिए समर्पण की भावना रखते हुए राणे असहयोग आंदोलन से बहुत प्रभावित हुए।
1940 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान राम राघोबा राणे के भीतर भी जोश भरा जीवन जीने की इच्छा उत्पन्न हुई।
उन्होंने भारतीय सेना में जाने का मन बनाया। उनकी मेहनत रंग लाई और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही उनका चयन सेना में हो गया।
उनको बर्मा भेजा गया जहां ब्रिटिश भारतीय सेना जापान से युद्ध कर रही थी। वहाँ राम राघोबा राणे ने सेना को अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता से प्रभावित किया। जिसके फलस्वरूप उन्हें सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में जम्मू कश्मीर के मोर्चे पर तैनात कर दिया गया।
1948 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में राम राघोबा राणे को अपना पराक्रम दिखाने का मौका मिला। इस दौरान उनकी कुशल और विस्तृत रणनीति के चलते उनकी सैन्य टुकड़ी ने बारावली रिज, चिगास और राजौरी पर अपना अधिकार कर दुश्मन सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था।
अपनी वीरता और पराक्रम से उन्होंने इस युद्ध में भारत को विजय दिलाई। इसके फलस्वरूप उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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