15 जुलाई 1783 को जमशेदजी जीजीभाई का जन्म मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में हुआ था।
इनका नाम भारत के सबसे बड़े दानवीर कारोबारियों में शामिल है।
अपने दानवीरता के लिए महारानी विक्टोरिया से सम्मानित होने वाले वे पहले भारतीय थे।
उन्होंने कुओं, बांधों, सड़कों, पुलों, औषधालयों, शिक्षण संस्थानों, पशुशालाओं, अनाथालयों समेत कई जरूरी भवनों के लिए धन दान दिया।
बचपन में माता-पिता के निधन के बाद जमशेदजी भाई आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके।
जमशेदजी व्यवसायिक बुद्धि वाले थे। उन्होंने अपने व्यापार का भारत के बाहर भी विस्तार किया।
उन्होंने व्यापारिक उद्देश्यों से भाड़े के जहाजों से चीन यात्रा की। कुल मिलाकर वे 5 बार चीन गए।
कभी-कभी ये यात्रायें खतरनाक भी सिद्ध हुईं। एक बार पुर्तगालियों ने इनका जहाज लूट लिया और इन्हें 'केप ऑफ गुड होप' के पास छोड़ दिया।
किसी तरह मुंबई आकर उन्होंने अपने व्यापार को फिर से संभाला और 1814 में अपना जहाज खरीदने के बाद निरंतर उन्नति की दिशा में बढ़ते गए।
जमशेदजी भाई को "मुम्बई का सबसे योग्य पुत्र" भी कहा जाता है।
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