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16 जुलाई 1909 को अरुणा आसफ अली का जन्म हरियाणा के कालका में हुआ। आज़ादी से पहले यह पंजाब का हिस्सा था।
वह एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनका बचपन का नाम अरुणा गांगुली था।
उनकी स्कूली शिक्षा नैनीताल में हुई। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह शिक्षिका बन गईं और कोलकाता के गोखले मेमोरियल कॉलेज में अध्यापन करने लगीं।
आजादी की लड़ाई में सत्याग्रह आंदोलन के दौरान वे कई बार जेल भी गईं।
उनके जीवन में जयप्रकाश नारायण, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादियों के विचारों का अधिक प्रभाव पड़ा।
इसी कारण 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अंग्रेजों की जेल में बंद होने के बदले भूमिगत रहकर अन्य साथियों के साथ आंदोलन का नेतृत्व करने का फैसला लिया।
1975 में शांति और सौहार्द के क्षेत्र में उन्हें "लेनिन प्राइज" से सम्मानित किया गया।
अरुणा आसफ अली को भारत सरकार ने 1992 में पद्म विभूषण और 1997 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।
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16 जुलाई 1969 को अंतरिक्ष के इतिहास में मनुष्य ने एक नया इतिहास रचा।
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य की सबसे बड़ी कामयाबी में शामिल है चांद पर इंसान का पहुंचना।
इसी सपने को साकार किया अपोलो 11 के मिशन ने। अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत के कैप कैनेडी स्टेशन से अपोलो 11 अंतरिक्ष की ओर रवाना हुआ।
अंतरिक्ष यान को ले जाने वाले रॉकेट को देखने के लिए पूरे राज्य से लगभग 10 लाख लोग इकट्ठा हुए थे।
जब अपोलो 11 अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ तो सिर्फ 12 मिनट के अंदर ही पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने लगा।
इस मिशन में यान पर सवार थे– नील आर्मस्ट्रांग, माइकल कॉलिन्स और एडविन ऑल्ड्रिन।
अंततः 20-21 जुलाई के बीच की रात आई जब नील आर्मस्ट्रांग के चाँद की सतह पर उतरते ही मनुष्य ने चाँद पर अपना पहला कदम रखा।
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