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31 दिसंबर 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई।
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम के शाही फरमान के द्वारा इसे पंजीकृत किया गया।
दक्षिण-पूर्व एशिया और विशेष तौर पर भारत के साथ व्यापार करने के लिए कंपनी की स्थापना की गई।
इसे मसाले के व्यापार के लिए गठित किया गया था।
उस समय इस व्यापार पर स्पेन और पुर्तगाल का एकाधिकार था।
कुछ समय बाद कंपनी ने मसाले के अलावा कपास, रेशम, चाय, नील और अफीम के व्यापार का काम भी शुरू किया।
समय के साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश सरकार के एजेंट के तौर पर राजनीतिक गतिविधियों में भी हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।
1857 में भारतीय सेना के विद्रोह के बाद कंपनी को भंग कर दिया गया और अंग्रेज सरकार ने भारत के संचालन का काम अपने हाथों में ले लिया।
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31 दिसंबर 1999 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर पनामा नहर का नियंत्रण पनामा देश को सौंप दिया।
1977 में हुई “पनामा संधि” के मुताबिक यह तय किया गया था कि 1999 में आज ही के दिन नहर को पनामा वासियों को सौंप दिया जायेगा।
इस संधि पर अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर और पनामा के शासक ओमार ने हस्ताक्षर किये थे।
पनामा नहर मानव निर्मित जलमार्ग है। यह नहर प्रशांत महासागर को कैरेबियाई सागर के माध्यम से अटलांटिक महासागर से जोड़ती है।
पनामा नहर का निर्माण 1904 में शुरू होकर 1914 में पूरा हुआ।
लगभग 82 किमी लंबी पनामा नहर वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख जलमार्गों में से एक है।
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31 दिसंबर 1964 को डोनल्ड कैम्पबेल ने पानी पर सबसे तेज गति से स्पीडबोट चलाने का रिकॉर्ड बनाया।
उन्होंने अपनी स्पीडबोट 444.71 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ाई।
एक ही वर्ष में पानी और ज़मीन पर सबसे तेज़ गति से वाहन दौड़ाने का रिकॉर्ड बनाने वाले वे दुनिया के पहले व्यक्ति बने।
उसी वर्ष जुलाई में उन्होंने ज़मीन पर 648.72 किमी प्रति घंटा की गति से गाड़ी चलाई।
इससे पहले पानी पर सबसे तेज़ गति से स्पीडबोट चलाने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम था।
साल 1959 में कैम्पबेल ने अपनी स्पीडबोट 418.99 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ाई थी।
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