10 अगस्त 1894 को वराहगिरि वेंकटगिरी का जन्म उड़ीसा के बहरामपुर में हुआ।
वी. वी. गिरि के नाम से प्रसिद्ध वे भारत के चौथे राष्ट्रपति थे।
वी. वी. गिरि डबलिन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के लिए आयरलैंड चले गए।
प्रथम विश्व युद्ध के समय साल 1916 में वे भारत वापस लौट आए।
भारत लौटने के बाद वी. वी. गिरि श्रमिक और मजदूरों के आंदोलन का हिस्सा बन गए।
उन्होंने 'केंद्रीय सलाहकार परिषद' और 'भारतीय श्रम सम्मेलन' की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनकर वे पूर्ण रुप से स्वतंत्रता के लिए सक्रिय हो गए।
अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे "भारत छोड़ो आंदोलन" में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए अंग्रेजों द्वारा उन्हें जेल भेज दिया गया।
वर्ष 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद वे सिलोन में भारत के उच्चायुक्त नियुक्त किए गए।
वी. वी. गिरि 1967 में जाकिर हुसैन के समय में भारत के उपराष्ट्रपति रहे।
1969 में वी. वी. गिरि देश के चौथे राष्ट्रपति बने।
1975 में वी. वी. गिरि को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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