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12 अगस्त 1948 को भारत ने आज़ादी के बाद पहला ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीता।
यह पदक भारत की पुरूष हॉकी टीम ने जीता था।
इससे पहले भारत ने 1928, 1932, 1936 में लगातार 3 स्वर्ण पदक जीते थे। ये तीनों पदक भारत ने अंग्रेजों के शासनकाल में जीते थे।
द्वितीय विश्वयुद्ध की वजह से ओलंपिक खेलों का आयोजन 12 साल तक नहीं हो सका था।
12 साल बाद जब 1948 में ओलंपिक खेलों का आयोजन फिर से हुआ तो भारत ने लगातार चौथी बार स्वर्ण पदक जीता।
आजादी से पहले तीन स्वर्ण पदक जीतने में मेजर ध्यानचंद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उनके जादुई प्रदर्शन की वजह से उन्हें हॉकी का जादूगर माना जाने लगा था।
आजादी के बाद हुए ओलंपिक खेलों में हॉकी टीम में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जगह बलवीर सिंह आ गए।
अपने प्रदर्शन से बलबीर सिंह ने साबित कर दिया कि वे हॉकी में भारत का जादू आगे भी कायम रखेंगे।
फाइनल मुकाबले में भारत ने ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से पराजित किया। यह जीत बेहद खास थी क्योंकि फाइनल मुकाबले के 3 दिन बाद ही भारत अपनी स्वतंत्रता की पहली वर्षगांठ मना रहा था।
अंग्रेजों को उन्हीं की धरती पर हराकर पूरा देश खुशी से झूम उठा।
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12 अगस्त 1919 को विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म अहमदाबाद में हुआ।
विक्रम साराभाई भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले अध्यक्ष थे।
विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है।
विक्रम साराभाई ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
वे होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु के बाद परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बने।
विक्रम साराभाई ने 1966 में कम्युनिटी साइंस सेंटर की स्थापना की।
भारत सरकार ने विक्रम साराभाई को 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
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