22 अगस्त 1864 को स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में 'पहला जिनेवा सम्मेलन' हुआ।
19वीं सदी के मध्य से पहले दुनिया में युद्धबंदियों पर शत्रु देश की ओर से किए जाने वाले अमानवीय बर्ताव को रोकने के लिए कोई कानून नहीं था।
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था– मानवीय मूल्यों की रक्षा करने के लिए कानून बनाना।
इसकी शुरुआत रेडक्रॉस के संस्थापक हेनरी ड्यूनान्ट के प्रयासों से हुई।
1859 में फ्रांस और ऑस्ट्रिया के बीच हुए सोलफेरिनो युद्ध में जब हेनरी ड्यूनान्ट ने युद्ध स्थल का दौरा किया तो वहां हुए भयानक रक्तपात को देखकर वह विचलित हो उठे।
इसके बाद उन्होंने रेडक्रॉस नामक संगठन की स्थापना की। इसके तहत युद्धबंदियों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए आज के दिन पहले जिनेवा सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जिनेवा सम्मेलन में चार प्रमुख संधियों और तीन प्रोटोकॉल्स का उल्लेख किया गया है।
इसमें युद्ध के दौरान घायल और बीमार सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करना है।
इसमें चिकित्सा कर्मियों और चिकित्सा परिवहन की सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है।
इसमें "प्रिजनर ऑफ वॉर" के तहत युद्धबंदियों को युद्ध की समाप्ति के बाद बिना देरी के रिहा किया जायेगा।
संधि के मुताबिक किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जाएगा।
जेनेवा कन्वेंशन को मानने वाले देशों की सदस्य संख्या 194 है।
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