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24 अगस्त 1908 को महान क्रांतिकारी शिवराम हरि राजगुरु का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था।
राजगुरु सरदार भगत सिंह और सुखदेव के घनिष्ठ मित्र थे।
राजगुरु के जीवन पर बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के आदर्शों का प्रभाव था।
चन्द्रशेखर आज़ाद ने उन्हें अपनी क्रांतिकारी पार्टी "हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन" में शामिल किया।
दिसंबर 1928 में राजगुरु, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद ने सांडर्स की हत्या करके लाला लाजपतराय के बलिदान का बदला लिया।
लाहौर षड्यंत्र के तहत अंग्रेज सरकार ने राजगुरू, भगत सिंह और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई।
23 मार्च 1931 को राजगुरू, सुखदेव और भगत सिंह के साथ शहीद हो गए।
प्रतिवर्ष 23 मार्च को इन शाहीदों की याद में "शहीद दिवस" मनाया जाता है।
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24 अगस्त 1911 को बीना दास का जन्म ब्रिटिशकालीन बंगाल के कृष्णानगर में हुआ था। वे भारत की महिला क्रांतिकारी थीं।
बीना दास "पुण्याश्रम संस्था" से जुड़ी हुई थीं। यह संस्था निराश्रित महिलाओं को आश्रय प्रदान करती थी।
हालांकि इस संस्था का मुख्य उद्देश्य था– क्रांतिकारियों के लिए बम और हथियार बनाना और उनका संरक्षण करना।
बीना दास ने क्रांतिकारी संगठन "युगान्तर दल" के साथ भी सक्रिय रूप से काम किया।
एक समारोह में उन्होंने अंग्रेज गवर्नर स्टेनली जैक्सन पर गोली चलाई थी। इस घटना में जैक्सन बाल-बाल बच गया।
इस घटना के बाद बीना दास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
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