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9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने काकोरी ट्रेन एक्शन को अंजाम दिया।
काकोरी ट्रेन एक्शन द्वारा स्वाधीनता सेनानियों ने सरकारी खजाना लूट कर जनता को यह संदेश दिया कि क्रांतिकारी आम जनता के नहीं बल्कि शासन के विरोधी हैं।
इस एक्शन में 4 क्रांतिवीरों को मृत्युदंड दिया गया। ये क्रांतिवीर थे– राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह।
राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को छोड़कर शेष तीनों को 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जेलों में फांसी दी गई लेकिन भयवश अंग्रेज सरकार ने राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के उग्र स्वभाव के कारण उन्हें 2 दिन पहले ही 17 दिसंबर को गोंडा कारागार में फांसी दे दी।
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9 अगस्त 1942 को भारत का ऐतिहासिक "भारत छोड़ो आंदोलन" शुरू हुआ।
इसकी शुरुआत 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित कर की गई थी।
यह आंदोलन सारे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर प्रारंभ हुआ।
भारत की आजादी की लड़ाई के संबंध में इतिहास में दो पड़ाव महत्वपूर्ण हैं। पहला है– 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम और दूसरा– 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन।
क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद गांधी जी ने एक और बड़ा आंदोलन प्रारंभ करने का निश्चय किया। यह भारत छोड़ो आंदोलन था।
इस आंदोलन को "अगस्त क्रांति" के नाम से भी जाना जाता है। इस लड़ाई में गांधी जी ने करो या मरो का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए भारत के युवाओं का आह्वान किया था।
अगस्त क्रांति ने ब्रिटिश शासन की नींव को हिला दिया।
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9 अगस्त 1945 को इतिहास का दूसरा परमाणु हमला हुआ।
पहला परमाणु हमला 6 अगस्त 1945 को किया गया था।
ये दोनों परमाणु हमले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान पर किये।
पहला परमाणु हमला 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर और दूसरा परमाणु हमला नागासाकी पर किया गया।
इन परमाणु हमलों ने पल भर में हज़ारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार हिरोशिमा और नागासाकी में लगभग 1.5 लाख लोग मारे गए और बड़े पैमाने पर लगभग 70 से 80% इमारतें नष्ट हो गईं।
जो लोग बच गए वे अपंगता के शिकार हो गए। घंटों काली बारिश होती रही और रेडियोएक्टिव विकिरण ने शहर में कहर ढा दिया।
नागासाकी पर गिराये गए परमाणु बम का नाम "फैट मैन" था। हिरोशिमा पर गिराये गए परमाणु बम का नाम "लिटिल बॉय" था।
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